वे तत्व जो पौधों के पोषण में भाग लेते है पोषक तत्व कहलाते है।
पादप को अपने जीवनकाल में 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
पादप के लिए आवश्यक पौषक तत्वों का वर्गीकरण
(I) संरचनात्मक पौषक तत्व– C,H, O मिलकर पादप का 90-95 प्रतिशत भाग बनाते है अतः ये संरचनात्मक तत्व कहलाते है।
C,H, O पादप के अखाद्य तत्व भी है क्योंकि इन्हे पादप को बाहर से देने की आवश्यकता नही होती हैं। इनकी पूर्ती वायु व वे तत्व जो पौधों के पोषण में भाग लेते है पोषक तत्व कहलाते है। SE इनमें N, P, K, Ca Mg, S आते है। इनको दो भागों में पानी द्वारा पादप को मिलते रहते है।
पादप में सर्वाधिक कार्बन पाया जाता है।
(II) वृहत आवश्यक पौषक तत्व (Macro- Nutrient) – ऐसे पौषक तत्व जिनकी पादप को 1 ppm से अधिक सान्द्रता की आवश्यकता होती है। इनमें B, Cl, Mn, Fe, Zn, Cu, Mo, Ni आते है। इनको दो भागों में बाँटा गया है।
(i) प्राथमिक पौषक तत्व (Primary- Nutrient) N, P, K
(ii) द्वितियक / गौण पौषक तत्व (Secondary – Nutrient)-Ca, Mg, S
(II) सूक्ष्म आवश्यक पौषक तत्व (Micro- Nutrient)
ऐसे पौषक तत्व जिनकी पादप को 1 ppm से कम सान्द्रता CHKQD की आवश्यकता होती है। इनमें B, Cl, Mn, Fe, Zn, Cu, Mo, Ni आते है। इनको दो भागों में बाँटा गया है।
आवश्यक पोषक तत्वों की संकल्पना
आरनन और स्टाउट ने 1939 में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व के मापदण्ड प्रस्तावित किए जिन्हें आरनन के पुनः 1954 में परिष्कृत किया।
आवश्यक पोषक तत्वों की संकल्पना आरनोन (आर्नन ) नामक वैज्ञानिक ने 1954 में दी।
इस संकल्पना के अनुसार, पौधे के लिए केवल वे ही पोषक तत्व आवश्यक है जो निम्न बातों पर खरे उतरते है-
(1) एक पोषक तत्व का विस्थापन दूसरे पोषक तत्व द्वारा नही किया जा सकता है अर्थात् पोषक तत्व अपनी कमी को स्वयं ही पूरा करे । उसकी कमी को कोई दूसरा पौषक तत्व पूरा न कर सके।
(2) उस पोषक तत्व के बिना पादप अपना जीवन चक्र पूरा नही कर सकता है।
(3) पोषक तत्व पादप की उपापचयी क्रियाओं में सीधा भाग लेता है।
पोषक तत्व | तत्वों के रूप | |
1 | कार्बन | CO HCOM |
2 | हाइड्रोजन | HTOH |
3 | आक्सीजन | OH |
4 | नाइट्रोजन | NO (नाइट्रेट) NH (अमोनियम) |
5 | फॉस्फोरस | H, PO. (सर्वाधिक ) HPO POS (मोनो डाई एवं ट्राई) |
6 | पोटेशियम | K |
7 | कॅल्शियम | Cate |
8 | मैंगनीशयम | Mg +2 |
9 | गंधक / सल्फर | SO; (सल्फाइट) SO (सल्फेट) |
10 | लोहा | Fc (फैरस) व Felt (फैरिक) |
11 | तांबा / कॉपर | Cu’ (क्यूप्रस) व Cu” (क्यूप्रिक) |
12 | जस्ता | Zn |
13 | मँगनीज | Mn (मैगनस) व Mn” (मँगनिक) |
14 | बोरोन | BO (बोरेट) व HB, O (बाई बोरेट) |
15 | मोलिब्डनम | MoO. (मोलिबिडेट) |
16 | क्लोरीन | |
17 | निकल | Ni |
मृदा के पोषक तत्वों की प्राप्ति के स्त्रोत
वर्षा ऋतु में वातावरण की दो प्रमुख गैसें नाइट्रोजन व ऑक्सीजन बादलों में बिजली गिरने पर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है, जिनसे बाद में नाइट्रोजन की पूर्ति होती है।
पौधो को देखकर पौधों में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाना
(A) पोषक तत्व जिनकी कमी के लक्षण, पहले पौधे की नीचे की पत्तियों तथा पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते है इस वर्ग में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम व जस्ता सम्मिलित है। ये पादप में अधिक गतिशील होते है।
(B) पोषक तत्व जिनकी कमी के लक्षण, पौधे की ऊपरी कलिका अथवा नई पत्तियों पर दिखाई देते है
इस वर्ग में कैल्शियम, बोरोन, ताम्बा, मैंगनीज, गंधक व लोहा सम्मिलित है इनकी पादप में गतिशीलता कम होती है। पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व, कार्य, कमी के लक्षण एवं कमी को दूर करने के उपाय